मुक्त - संदीप सृजन

बदली हुई नजरों से मेरा गाँव देखिए।
शहरो से जो मिला है वो बदलाव देखिए।
इंसानियत से उठ गया इंसा का वास्ता ।
मन मे आते छल कपट और दाव देखिए।
@संदीप सृजन

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