आडवाणी जी के मन के भाव dy संदीप सृजन

आडवाणी जी के मन के भाव
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हिंदी ग़ज़ल के युग पुरूष  श्रद्धेय
स्व.दुष्यंत कुमार जी से क्षमा सहीत ...
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वो मेरा पत्र मीडिया मे जा दुहरा हुआ होगा।
मैरा इस्तिफा नही था ,उन्हे धोखा हुआ होगा।।

यहाँ तक आते-आते बडा  बूढा हो गया हूँ मै।
किसी पद की चाह मे मेरा  मन भटका हुआ होगा।।

समझ मुझे भी है मेरी बिदाई की आहट आ रही ।
सब के सब परेशां है इस बूढे को क्या हुआ होगा।।

अपने पक्ष मे शोर सुनना किसे अच्छा नही लगता।
पर सब सिधा हो जाएगा जितना बांका हुआ होगा ।।

मुझसे नही रहा जाता है गुंगा और बहरा बन ।
कैसे सहलू सत्ता मे किसी का जलसा हुआ होगा।।
@संदीप सृजन

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