सांकली दोहे - संदीप सृजन

नया प्रयोग ....सांकली दोहे ...

शब्द शब्द मे खोजते, हम ब्रह्मा का  वास ।
शब्द शब्द मे है भरा, जीवन का उल्लास ।।

जीवन का उल्लास है, प्रेम शब्द मे खास ।
घृणा शब्द देता सदा,  तन मन को संत्रास ।।

तन मन को संत्रास दे,  या दे हम उल्लास ।
दोनो में किसको चुने, शब्द हमारे पास।।

@संदीप सृजन

सांकली दोहे -संदीप सृजन

नया प्रयोग ...सांकली दोहे ....
आज चुटकुले देखिए, बन कवि की सन्तान ।
काव्य मंच से ला रहे, अर्थ और सम्मान ।।
अर्थ और सम्मान के , लिए लगाई  होड़ ।
कविता का क्षारण किया , भाषा तोड़ मरोड़ ।।
भाषा तोड़ मरोड़ कर, करता जो संवाद ।
आधुनिक साहित्य जगत, उसको देता दाद ।।
@संदीप सृजन