सिर्फ उज्जैन मे मनाई जाती है हनुमान अष्टमी

सिर्फ उज्जैन मे मनाई जाती है हनुमान अष्टमी
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पौष कृष्ण अष्टमी 25 दिसंबर को हनुमान अष्टमी मनाई जा रही है।
हनुमान अष्टमी का आयोजन पूरे भारत में केवल उज्जैन में ही होता है। त्रेता युग में लंका युद्घ के समय जब अहि रावण भगवान राम-लक्ष्मण को पाताल ले जाकर उनकी बलि देना चाहता था, तब हनुमानजी ने अहि रावण का वध कर भगवान को बंधन मुक्त किया था तथा पृथ्वी के नाभि स्थल अवंतिका में आकर विश्राम किया। 
भगवान ने प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया कि पौष कृष्ण अष्टमी को जो भक्त तुम्हारा पूजन करेगा, उसे कष्टों से मुक्ति मिलेगी। तभी से यह पर्व उत्साह से मनाया जाता है । कहते हैं कि यह हनुमानजी का विजय उत्सव है। जब भगवान श्रीराम लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे थे और विजय उत्सव मनाया जा रहा था, तब श्रीराम ने कहा कि यह तो हनुमानजी की विजय है। 
साथ एक किवदंती भी प्रचलित है की ...माता सीता को मांग मे सिंदूर लगाते देख हनुमान जी ने पूछा - माता आप यह सिंदूर क्यो लगाती है? तो सीता जी ने कहा - सिंदूर लगाने से तुम्हारे प्रभु प्रसन्न होते है । तब हनुमान जी ने सोचा माता चुटकी भर सिंदूर माथे पर लगाती है तो प्रभु राम जी प्रसन्न होते है तो क्यो न मै अपने पूरे शरीर पर लगा लू भगवान सदा मुझ पर प्रसन्न रहेंगे । और हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया । वह दिन था पौष कृष्ण अष्टमी का इस दिन हनुमान जी ने पहली बार अपने हाथों अपने शरीर पर सिंदूर लगाया था जिससे भगवान राम जी सदैव उन पर प्रसन्न रहे ।( संदीप सृजन)