हाईकु - बसंत
नटी प्रकृति,
खिलखिला रही है,
बसंत आया ।
गंध -सुगंध,
महुए की मादक,
बसंत लाया ।
रूप रंग से,
नव सम्मोहन दे,
बसंत छाया ।
संकल्प सारे,
पूरे करने वाला,
बसंत भाया ।
जन -मन ने,
हर्षित होकर के,
बसंत गाया ।
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उड़े गुलाल,
ऋतु है बेमिसाल,
बसंत नाम ।
रंग -तरंग ,
घुली हवा में भंग,
बसंत जाम ।
ठण्डी पवन,
सूरज भाये मन,
बसंत धाम ।
यौवन छाया,
सबको भरमाया,
बसंत काम ।
कथा कहने,
पीताम्बर पहने,
बसंत राम ।
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भू पर छाया,
आनंद ही आनंद,
प्रकृति नाचे ।
संत हो गई,
पीली हुई सरसों,
धरती नाचे ।
झरा पलाश,
आया है मधुमास,
अम्बर नाचे ।
बदले भाव,
पल -पल में हवा,
मादक बनी ।
घट -घट में,
बसंत भर रहा,
उल्लास नया ।
-संदीप सृजन
संपादक -शब्द प्रवाह
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हाइकुओं का बसंत...वाह...अनुपम:))
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