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दिवस कपकपाने लगे, लगी ठिठुरने रात




मौसम के बदलाव ने, बदल दिए हालात ।
दिवस कपकपाने लगे, लगी ठिठुरने रात ।।

मौसम के बदलाव ने, छीन लिया सुख चैन ।
स्वेटर मफलर मांगता, सूरज हो बैचेन ।।

मौसम के बदलाव ने, दिए नये संकेत ।
चादर ओढ़े बर्फ की, सुस्त हो गये खेत ।।

मौसम के बदलाव ने, बदला है सुऱ ताल ।
फटी गुदड़िया से बची, मुफ़लिस तन की खाल ।।

मौसम के बदलाव ने, बदले सारे ख़्वाब ।
यौवन की दहलीज़ पर, बहके मिले गुलाब ।।

मौसम के बदलाव ने, दिए नये उन्वान ।
क़लम और स्याही रचे, काग़ज़ पर दिनमान ।।

मौसम के बदलाव ने, रचे कईं नवगीत ।
आंगन पसरी धूप से, कर बैठे हम प्रीत ।।

मौसम के बदलाव ने, बांटी है सौगात ।
यौवन को भाने लगी, ठंड़ी-ठड़ी रात ।।

-संदीप सृजन
संपादक- शाश्वत सृजन
ए-99 वी.डी. मार्केट, उज्जैन 456006
मो. 09406649733
ईमेल- sandipsrijan.ujjain@gmail.com

सरस्वती वंदना दोहों में



सरस्वती वंदना दोहे
हे वाणी वरदायिनीकरिए हृदय निवास 
नवल सृजन की कामना, यही सृजन की आस


मात शारदा उर बसोधरकर सम्यक रूप
सत्य सृजन  करता रहूँ, ले कर भाव अनूप

सरस्वती के नाम से,कलुष भाव हो अंत
शब्द सृजन होवे सरस, रसना हो रसवंत

वीणापाणि माँ मुझको ,दे दो यह वरदान
कलम सृजन जब भी करे, करे लक्ष्य संधान

वास करो वागेश्वरी, जिव्हा के आधार
शब्द सृजन हो जब झरे, विस्मित हो संसार

हे भव तारक भारतीवर दे सम्यक ज्ञान
नित्य सृजन करते हुए, रचे दिव्य अभिधान

भाव विमल विमला करो, हो निर्मल मति ज्ञान
निर्विकार होवे सृजनदो ऐसा वरदान


विंध्यवासिनी दीजिए ,शुभ श्रुति का वरदान
गुंजित होती दिव्य ध्वनि, सृजन  करे रसपान


महाविद्या सुरपुजिता, अवधि ज्ञान स्वरूप 
लोकानुभूति से सृजनरचे जगत अनुरूप


शुभ्र करो श्वेताम्बरी ,मन:पर्यव प्रकाश
मन शक्ति सामर्थ्य से, सृजन करे आकाश


शुभदा केवल ज्ञान से, करे जगत कल्याण 
सृजन करे गति पंचमीपाए पद निर्वाण

विनम्र
संदीप सृजन
shashwatsrijan111@gmail.com 


सांकली दोहे -संदीप सृजन

नया प्रयोग ...सांकली दोहे ....
आज चुटकुले देखिए, बन कवि की सन्तान ।
काव्य मंच से ला रहे, अर्थ और सम्मान ।।
अर्थ और सम्मान के , लिए लगाई  होड़ ।
कविता का क्षारण किया , भाषा तोड़ मरोड़ ।।
भाषा तोड़ मरोड़ कर, करता जो संवाद ।
आधुनिक साहित्य जगत, उसको देता दाद ।।
@संदीप सृजन