भारतीय संस्कृति
व्रतों, त्यौहारों और पर्वों की संस्कृति है। हर तिथि किसी न किसी देवी-देवता को
समर्पित है और इन तिथियों के अनुसार देवी-देवताओं को श्रद्धासुमन अर्पित करने के
लिए पर्वों का आयोजन किया जाता है उनकी उपासना करते हुए हर्षोल्लास के साथ
त्यौहारों को मनाया जाता है। कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी कहा
जाता है और इस दिन भगवान विष्णु के साथ महादेव की पूजा का विधान है। बैकुंठ
चतुर्दशी की पूजा मध्य रात्री यानी निशिथ काल में की जाती है। मान्यता है कि
बैकुंठ चतुर्दशी को श्रीहरी और महादेव की उपासना करने से पापों का नाश होता है और
पुण्य फल का प्राप्ति होती है।
महाकाल की नगरी में बैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन
का अद्भूत समागम होगा। साल में केवल एक दिन ऐसा आता है जब बिल्वपत्र की माला
पहनने वाले शिव तुलसी की माला पहनते है और हमेशा तुलसी माला पहनने वाले विष्णु
बिल्व पत्र की माला धारण करेंगे। यह नजारा दिखेगा केवल वैकुंठ चतुर्दशी की रात बड़े
गोपाल मंदिर में होता है। रात 11 बजे बाबा महाकाल की सवारी निकलती
है जो गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होकर सिंधिया ट्रस्ट के
द्वारकाधीश गोपाल मंदिर जाती है। गोपालजी के सामने महाकाल
विराजते है, दोनों मंदिरों के पुजारी पूजन अभिषेक करते है। संकल्प के माध्यम से
शिव यानी महाकाल चार महीने तक पृथ्वी की देखभाल के बाद गोपालजी यानी विष्णु को फिर
से जिम्मेदारी देते है। वर्ष में एक बार
भगवान महाकाल चांदी की पालकी में बैठकर रात में हरि यानी विष्णु से मिलने जाते
हैं। इस अद्भुत मिलन को देखने हजारों लोग उमड़ते है। सवारी के बाद गोपाल मंदिर में
दो घंटे अभिषेक चलता है। हरिहर मिलन बाद शिव विष्णु को तुलसी व विष्णु शिव को
बिल्वपत्र की माला पहनाकर सृष्टि का भार सौंपते है। रात में पुन: सवारी महाकाल
मंदिर लौटती है।
मान्यता
है देवशयनी एकादशी पर जब विष्णु शयन के लिए क्षीरसागर में जाते हैं तो वे पृथ्वी
को संभालने का भार शिव को दे जाते हैं। चातुर्मास के चार माह सृष्टि का संचालन भगवान शिव द्वारा किया जाता
है।
दूसरे दिन कार्तिक पूर्णिमा का स्नान शिप्रा के
रामघाट पर किया जाता है। इसी दिन शिप्रा में दीपदान भी होता है जो देखने लायक
नजारा होता है। रात
में नगर में निकलने वाली हरिहर मिलन की सवारी में प्रशासन ने हर बार की तरह
श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए धारा 144
के अंतर्गत हिंगोट व रॉकेट आदि खतरनाक पटाखे छोड़ने पर प्रतिबंध
लगाया है।
-संदीप सृजन
संपादक-शाश्वत
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