एक कविता जितनी देर में पढ़ी या सुनी जाती है उससे हजार गुना अधिक
समय में वह कागज पर अवतरीत होती है, और उससे भी हजार गुना समय उस विषय को चिंतन-मनन
करने में कवि लगाता है। कविता का जन्म जब होता है, उससे पहले रचनाकार के विचारों
में एक लंबा संघर्ष चल रहा होता है। तभी कविता यथार्थ के धरातल पर टिकती है और
पाठक या श्रोता के मानस में अपना स्थान बना पाती है।
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*कृति- सपनों के सच होने तक
*लेखक- राजकुमार जैन ‘राजन’
*प्रकाशक- अयन प्रकाशन, दिल्ली
*मूल्य-260/-
*समीक्षक-संदीप सृजन
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वेदना और संवेदना कविता का आत्मतत्व होता है, एक अच्छी रचना इन
तत्वों के बिना बन ही नहीं सकती है। बाढ़, नये युग
की वसीयत, मानवता का कत्ल, नई पीढ़ी जैसी रचनाएँ समाज की पीड़ा है। जो हर इंसान कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप
में भोग रहा है। पीड़ा प्रश्न के डंर, मैं कृष्ण
बोल रहा हूँ, मानवता का पुनर्जन्म
जैसी कविता पुरातन आख्यानों का नवस्वरूप है जो आज भी समाज में जिंदा है। मेरे भीतर
बहती है नदी,लालिमा सूर्योदय की, पुनर्जन्म, समर्थन , चलो,
फिर से जी ले जैसी रचनाएँ जीवन को नव
चेतना देने में सहायक है।
वही समाज में जब बहुत ज्यादा असामाजिकता आती है और मानव अमानवीय
होने लगता है तब राजन जी की कविता के बदले तेवर लिखते है ईश्वर मर गया है, ऐसा एक दीप जलाऊं,
प्रश्नों की परछाईयॉ जैसे रचनाएँ जो बोध करवाती है समाज
में यह गलत हो रहा है। इस कृति में कईं रचनाओं में एक संदेश दोहराया गया है वह है सत्यम, शिवम,सुंदरम । जो की संसार का सार तत्व है और स्वयं का बोध करवाता है।
राजन जी की यह कृति पूरी तरह से संवेदना से भरी हुई है। हर रचना
में उनकी संवेदनशीलता दिखाई दे रही है। राजन जी की यह कृति सामाजिक मूल्यों को
पोषित करती है। सपनों के सच होने तक के लिए राजन जी को बधाई ...।
-संदीप सृजन
संपादक- शाश्वत सृजन
ए-99 वी.डी. मार्केट,
उज्जैन 456006
मो. 09406649733
सार गर्भित उत्तम समीक्षा के लिए हृदय से आभार।भाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई सर🙏🙏🙏🙏
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