दिवस कपकपाने लगे, लगी ठिठुरने रात




मौसम के बदलाव ने, बदल दिए हालात ।
दिवस कपकपाने लगे, लगी ठिठुरने रात ।।

मौसम के बदलाव ने, छीन लिया सुख चैन ।
स्वेटर मफलर मांगता, सूरज हो बैचेन ।।

मौसम के बदलाव ने, दिए नये संकेत ।
चादर ओढ़े बर्फ की, सुस्त हो गये खेत ।।

मौसम के बदलाव ने, बदला है सुऱ ताल ।
फटी गुदड़िया से बची, मुफ़लिस तन की खाल ।।

मौसम के बदलाव ने, बदले सारे ख़्वाब ।
यौवन की दहलीज़ पर, बहके मिले गुलाब ।।

मौसम के बदलाव ने, दिए नये उन्वान ।
क़लम और स्याही रचे, काग़ज़ पर दिनमान ।।

मौसम के बदलाव ने, रचे कईं नवगीत ।
आंगन पसरी धूप से, कर बैठे हम प्रीत ।।

मौसम के बदलाव ने, बांटी है सौगात ।
यौवन को भाने लगी, ठंड़ी-ठड़ी रात ।।

-संदीप सृजन
संपादक- शाश्वत सृजन
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