एक ग़ज़ल
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मैने पाई -पाई लिख दी
जीवन की सच्चाई लिख दी
तीखी धूप पडी आँगन मे
बरगद की परछाईं लिख दी
मीठी बाते जिनको भाती
उनको खूब मिठाई लिख दी
तारो की बारात के संग
सूरज की शहनाई लिख दी
बचपन की चंचलता छोड़ी
कुछ ऐसी गहराई लिख दी
@संदीप सृजन
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